Monday 6 October 2014

अनीता चौधरी (कविता )

अनीता चौधरी
anitachy04@gmail.com 

यादें

 
कमरे के किसी कोने में
रखी हैं मेरी अमूल्य यादें |
बंद कर दिए हैं मैंने ,
सभी खिड़की व दरवाजे |
ठूंस दिए हैं कमरे की
बारीक दरारों में ,
कपड़ों के चिथड़े |
फिर भी
यादों के निकलने की
हल्की सी आहाट
कर देती है मुझे विचलित
सोचती हूँ ,
कैसे बचाऊँ इन यादों को
जो, देती है मुझे प्रेरणा
अर्थपूर्ण जीवन जीने की |

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