Tuesday 10 December 2013

रोबोट

रोबोट
एक मशीन
संवेदनहीन
न थकने बाली
न हारने बाली
जब तक बैटरी में बची है उर्जा
रोबोट
दिखने में जैसे आदिम
न कोई सवाल
न जबाव
कोई विचार नहीं
जैसे देखता हो सब कुछ
लेकिन नहीं
देखेगा बस उतना
जितना बताया या सिखाया गया
रोबोट
जिस पर फर्क नहीं पड़ता
कत्ले आम होने का
बम विस्फोटों का
उसका दिल नहीं पसीजता
माँ की लाश पर आँचल तलाशते बच्चे को देखकर
चीख कराहटें भी
नहीं सुनता वह
जलते मानव गोस्त की दुर्गन्ध
विचलित नहीं कर पाती उसे
रोबोट
मानव स्वरूप में
जैसे सेवक
न कोई स्व न स्वाभिमान
न कोई धर्म न पहचान
न कोई मान न अपमान
न कोई गम न ख़ुशी
न महबूब न महबूबा
न सपने न आकांक्षा
बस काम और काम और काम
रोबोट
लॉस प्राफिट से बेखबर
क्या खोया क्या पाया से अनजान
हर पल बस इंतजार
रिमोट की कमांड का
यानी मालिक का हुक्म
कितना घूमना है
कितना चलना
कितना बैठना है
कितना उठाना
जीवन मालिक के हाथ
जब तक चलेगा
होता रहेगा बस इस्तेमाल
रोबोट
कभी दुर्लभ था
देश के लिए
सरकारें चिंतित
पिछड़े हुए वर्तमान से
फिर उदारवाद
और लगने लगीं विदेशी कम्पनियां
विभिन्न आकर्षक नाम
और पहचान कालेज इन्स्टीटिऊट की
देश के विकास और प्रगति के प्रतीक
पैदा कर रहे हैं अनगिनत रोबोट
शत प्रतिशत खूबियों के साथ
मय सर्टिफिकेट के
अतीत को जाना नहीं
वर्तमान को समझे बिना
बस दौड़ रहे हैं
अनजान भविष्य की और
सड़कों पर गलियों में
रोबोट रोबोट रोबोट ।
हनीफ मदार

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